सिसकते आब* में किस की सदा है
कोई दरिया की तह में रो रहा हैSiskte Aab mein kiski sada hai
Koi dariya ki tah mein ro raha haiसवेरे मेरी इन आँखों ने देखा
ख़ुदा चारो तरफ़ बिखरा हुआ हैSavere meri in aankhon ne dekha
Khuda chaaro taraf bikhara hua haiसमेटो और सीने में छुपा लो
ये सन्नाटा बहुत फैला हुआ हैSameto aur seene mein chhupa lo
Ye sannaata bahut faila hua haiपके गेंहू की ख़ुश्बू चीखती है
बदन अपना सुनेहरा हो चला हैPake genhoon ki khusboo chikhati hai
Badan apna sunehara ho chala haiहक़ीक़त सुर्ख़ मछली जानती है
समन्दर कैसा बूढ़ा देवता हैHakikat surkh machhali jaanti hai
Samndar kaisa budha devta haiहमारी शाख़ का नौ-ख़ेज़ पत्ता
हवा के होंठ अक्सर चूमता हैHamari shaakh ka nau-khej patta
Hawa ke honth aksar choomta haiमुझे उन नीली आँखों ने बताया
तुम्हारा नाम पानी पर लिखा हैMujhe un neeli aankhon ne bataaya
Tumhaara naam paani par likha hai* आब – पानी
याद किसी की चाँदनी बन कर कोठे कोठे उतरी है
याद किसी की धूप हुई है ज़ीना ज़ीना उतरी हैYaad kisi ki chandni ban kar kothe kothe utari hai
Yaad kisi ki dhoop hui hai jeena jeena utari haiरात की रानी सहन-ए-चमन में गेसू खोले सोती है
रात-बेरात उधर मत जाना इक नागिन भी रहती हैRaat ki rani sahan-e-chaman mein gesoo khole soti hai
Raat-beraat udhar mat jaana ik naagin bhi rahti haiतुम को क्या तुम ग़ज़लें कह कर अपनी आग बुझा लोगे
उस के जी से पूछो जो पत्थर की तरह चुप रहती हैTum ko kya tum ghazalen kah kar apni pyaas bhujha loge
Us ke jee se poochho jo patthar ki tarah chup rahti haiपत्थर लेकर गलियों गलियों लड़के पूछा करते हैं
हर बस्ती में मुझ से आगे शोहरत मेरी पहुँचती हैPatthar lekar galiyon galiyon ladke poochaa karte hai
Har basti mein mujhse aage shoharat meri pahunchti haiमुद्दत से इक लड़की के रुख़्सार की धूप नहीं आई
इसी लिये मेरे कमरे में इतनी ठंडक रहती हैMuddat se ik ladki ke rukhsaar ki dhoop nahi aai
Isi liye mere kmare mein itni thandak rahti hai
कभी यूं भी आ मेरी आंख में, कि मेरी नजर को खबर ना हो
मुझे एक रात नवाज दे, मगर उसके बाद सहर ना होवो बड़ा रहीमो करीम है, मुझे ये सिफ़त भी अता करे
तुझे भूलने की दुआ करूं तो मेरी दुआ में असर ना होमेरे बाज़ुऔं में थकी थकी, अभी महवे ख्वाब है चांदनी
ना उठे सितारों की पालकी, अभी आहटों का गुजर ना होये गज़ल है जैसे हिरन की आंखों में पिछली रात की चांदनी
ना बुझे खराबे की रौशनी, कभी बेचिराग ये घर ना होवो फ़िराक हो या विसाल हो, तेरी याद महकेगी एक दिन
वो गुलाब बन के खिलेगा क्या, जो चिराग बन के जला ना होकभी धूप दे, कभी बदलियां, दिलोज़ान से दोनो कुबूल हैं
मगर उस नगर में ना कैद कर, जहां ज़िन्दगी का हवा ना होकभी यूं मिलें कोई मसलेहत, कोई खौफ़ दिल में जरा ना हो
मुझे अपनी कोई खबर ना हो, तुझे अपना कोई पता ना होवो हजार बागों का बाग हो, तेरी बरकतो की बहार से
जहां कोई शाख हरी ना हो, जहां कोई फूल खिला ना होतेरे इख्तियार में क्या नहीं, मुझे इस तरह से नवाज दे
यूं दुआयें मेरी कूबूल हों, मेरे दिल में कोई दुआ ना होकभी हम भी इस के करीब थे, दिलो जान से बढ कर अज़ीज़ थे
मगर आज ऐसे मिला है वो, कभी पहले जैसे मिला ना होकभी दिन की धूप में झूम कर, कभी शब के फ़ूल को चूम कर
यूं ही साथ साथ चले सदा, कभी खत्म अपना सफ़र ना होमेरे पास मेरे हबीब आ, जरा और दिल के करीब आ
तुझे धडकनों में बसा लूं मैं, कि बिछडने का कभी डर ना हो